नई कविता
प्रयोगवादी कविता का ही आगे का दौर नई कविता के रूप में उभरा है। वस्तुतः नई कविता की विषय वस्तु मात्र चमत्कार न होकर एक भोगा हुआ जीवन यथार्थ है। नई कविता परिस्थितियों की उपज है। नई कविता स्वतंत्रता के बाद लिखी गई वह कविता है जिसमें नवीन भावबोध, नए मूल्य तथा नया शिल्प विधान है। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पहली बार मनुष्य की विवशता, असहायता तथा निरूपायता सामने आई और उसने अस्तित्व का संकट अनुभव किया।
घुटन, आक्रोश और नैराश्य में व्यंग्य का जन्म लेना स्वाभाविक था। इसलिए नई कविता में व्यंग्य की भी प्रधानता रही है।