प्रगतिवाद
प्रगतिवाद भौतिक जीवन से उदासीन, आत्मनिर्भर, सूक्ष्म, अंतर्मुखी प्रवृत्ति के विरुद्ध प्रतिक्रिया के रूप में, लोक के विरुद्ध स्थूल जगत की तार्किक प्रतिक्रिया है। यह काव्यधारा कला की अपेक्षा ‘जीवन’ को, व्यक्ति की अपेक्षा समाज को और स्वाद उन्नति के अपेक्षा सर्वानुभूति को प्रधानता देती है