रीतिसिद्ध
इस वर्ग में वे कवि आते हैं जिन्होंने रीति ग्रन्थ नहीं लिखे, किन्तु ’रीति’ की उन्हें भली-भाँति जानकारी थी। वे रीति में पारंगत थे। इन्होंने इस जानकारी का पूरा-पूरा उपयोग अपने-अपने काव्य ग्रन्थों में किया। इस वर्ग के प्रतिनिधि कवि हैं- बिहारी।
Share