रीतिकाल के किस कवि का उपनाम ‘काष्ठ जिह्वा स्वामी’ था?
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- ‘सौन्दर्यंलंकार:' किनकी पंक्ति है
- "प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” किसकी पंक्ति है:
- "लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै। अंग अंग तरंग उठै दुति की , पहिरे नौ रूप अवै धर च्वै ” में अलंकार है:
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