श्रृंगार और लक्षण ग्रंथों की रचना किस काल में की गई?
श्रृंगार और लक्षण ग्रंथों की रचना किस काल में की गई?
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रीतिकाल
रीतिकाल में श्रृंगार और लक्षण ग्रंथों की रचना की गई थी। रीतिकाल हिंदी साहित्य में वह काल था, जिसमें श्रृंगार और लक्षण संबंधित ग्रंथों की भरमार थी। रीतिकाल का समय सन 1700 ई के आसपास का माना जाता है। इस काल में दरबारी संस्कृति को प्रधानता मिली थी और श्रृंगार रस से संबंधित रचनाओं की अधिकता बनाई गई थी।
‘श्रृंगार निर्णय‘ का रचनाकाल संवत् 1807 है। इस ग्रंथ में श्रृंगार रस अर्थात नायिकाभेद, प्रेम, रस और संयोग–वियोग आदि विषयों का वर्णन किया गया है। साथ ही ‘रस सारांश‘ ग्रंथ में रसों का विस्तार से विवेचन किया गया है। इन आचार्यों के अतिरिक्त भूषण, सुखदेव मिश्र, सूरति मिश्र, श्रीपति आदि और भी कवि हैं जिन्होंने लक्षण ग्रंथों की रचना की। Read More